Old Pension Scheme: कर्मचारियों की पुरानी पेंशन स्कीम हुई लागू

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    सरकारी कर्मचारियों के लिए बहुत बड़ी खबर उभरकर सामने आ रही है। सरकार ने नई पेंशन स्कीम को हटाकर वापस से ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू कर दिया है।

    इस बात को लेकर कर्मचारी काफी लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे। सभी कर्मचारियों की मांग थी कि नई पेंशन स्कीम को हटाकर पुरानी पेंशन स्कीम को लागू कर दी जाए।

    पुरानी पेंशन स्कीम कई मामलों में नई पेंशन स्कीम से बेहतर है। सीएम मान जी ने इस विषय पर बात करते हुए कहा है कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने ओल्ड पेंशन को लेकर जो वादा किया था उसे हमने पूरा किया है.

    काफी लंबे समय से कर्मचारी पुराने पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे थे, जिसे अब बहुत सरे राज्य की सरकारों ने लागू कर दिया है।

    पंजाब सरकार की कैबिनेट मीटिंग में मंजूरी मिलने के बाद ही मुख्यमंत्री भगवंत मान जी ने ओपीएस लागू होने का ऐलान कर दिया था।

    राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा, अगर आप एक सरकारी कर्मचारी है और आप इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। 

    पुरानी पेंशन स्कीम क्यों खास है? 

    पुरानी पेंशन स्कीम 2003 से पहले बहुत अच्छे से चल रही थी और फिर दिसंबर 2003 में अटल बिहारी वाजपेई जी ने इसे खत्म कर दिया था और राष्ट्रीय पेंशन स्कीम लागू किया था।

    राष्ट्रीय पेंशन स्कीम 1 अप्रैल 2004 के बाद से सरकारी नौकरी करने वाले लोगों पर लागू होता है. पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों के आखिरी वेतन का 50 फीसदी पेंशन होता था.

    नयी राष्ट्रीय पेंशन स्कीम के तहत सभी कर्मचारी अपने सैलरी का 10 फ़ीसदी हिस्सा पेंशन के लिए योगदान करते हैं और साथ ही राज्य सरकार 14 फ़ीसदी हिस्सा कंट्रीब्यूट करती है।

    पेंशन का पूरा पैसा पेंशन रेगुलेटर पीएफआरडीए के पास जमा होता है और वे इसे निवेश करते हैं. पुरानी पेंशन स्कीम में महंगाई दर बढ़ने के साथ डीए भी बढ़ता था.

    साथ ही आपको बता दे की इसमें जब सरकार वेतन आयोग लागू करती थी तो पेंशन में भी बढ़ोतरी होती थी. 

    पहले ही बन गई थी योजना 

    पुरानी पेंशन योजना लागू करने के बारे में पंजाब सरकार ने करीब एक महीने पहले ही कैबिनेट की बैठक में बता दिया था।

    पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने के लिए कर्मचारी बहुत लंबे समय से डिमांड कर रहे थे और जगह-जगह इसे लेकर आंदोलन भी किया गया था.

    इसे लेकर राज्य के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने भी कहा था कि कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम चुनने का विकल्प मिलना चाहिए।

    इन्हीं सब मामलों को देखते हुए सरकार ने वापस से पुरानी पेंशन स्कीम को लागू कर दिया हैं। 

    एनपीएस से ज्यादा ओपीएस में फायदा 

    पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर हमेशा से राज्य स्तर पर आंदोलन चल रहे थे। सभी राज्यों की मांग थी कि पुरानी स्कीम लागू की जाए.

    राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ में लागू होने के बाद अब पंजाब में भी यह लागू हो गई है। एनपीएस यानी कि राष्ट्रीय पेंशन योजना में कर्मचारियों को बहुत कम फायदा मिलता था।

    जिससे कि उनको भविष्य में नौकरी समाप्त होने के बाद परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. राष्ट्रीय पेंशन योजना में रिटायरमेन्ट के बाद पेंशन का जो पैसा मिलता है उस पर टैक्स भी चुकाना पड़ता है. 

    राष्ट्रीय पेंशन स्कीम क्या है 

    राष्ट्रीय पेंशन स्कीम 2004 में पुरानी पेंशन स्कीम की जगह शुरू कि गई थी। यह योजना सरकारी कर्मचारियों को निवेश करने की मंजूरी देती है.

    इसके तहत कर्मचारी अपने पुरे कैरियर में पेंशन खाते में नियमित तौर पर अपना पैसा निवेश कर सकते है. रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को एक हिस्सा निकालने के लिए छूट रहती है.

    बाकी पैसा निकालने के लिए उन्हें एन्युटी खरीदनी होगी। एन्युटी एक तरह का इंसुरेंस प्रोडक्ट है।

    इसमें एकमुश्त निवेश करना होता है. इसे कर्मचारी हर महीने या फिर 4 महीने या साल में एक बार अपनी इच्छा अनुसार निकाल सकते हैं.

    रिटायर कर्मचारी की मृत्यु तक नियमित पैसा मिलता रहता है और फिर उसके मृत्यु के बाद सारा पैसा नॉमिनी को मिल जाता है. 

    एनपीएस से कितना पैसा निकाल सकते हैं 

    अगर आपको पैसों की बहुत ज्यादा जरूरत पड़ती है तो आप इस स्थिति में मेच्योरिटी से पहले अपने एनपीएस खाते से पैसे निकाल सकते हैं.

    पैसा निकालने के लिए आपका अकाउंट कम से कम 3 साल पहले खुली हुई यानि की तीन साल पुरानी होनी चाहिए।

    अगर आप एनपीएस के द्वारा दिए गए शर्तों को पूरा करते हैं तो आप अपने कंट्रीब्यूशन के 25% पैसे जरूरत पड़ने पर निकाल सकते हैं. 

    ओपीएस और एनपीएस में अंतर 

    पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए सैलरी से कोई कटौती नहीं होती है, जबकि राष्ट्रीय पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती होती है. इससे अब बढ़ जाएगा EPS Pension, देखें EPFO का नया अपडेट

    पुरानी पेंशन स्कीम एक सुरक्षित पेंशन स्कीम है. इसमें भुगतान सरकार की ट्रेजरी के द्वारा किया जाता है.

    जबकि नई पेंशन योजना शेयर बाजार आधारित है। इसका भुगतान बाजार के चाल के आधार पर किया जाता है. 

    पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय जो सैलरी होती है उसका 50 फ़ीसदी पेंशन के रूप में आपको मिलता है.

    जबकि राष्ट्रीय पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं होती है. 

    पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के बाद 2000000 रुपए तक की ग्रेजुएटी मिलती है वहीँ राष्ट्रीय पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय ग्रेजुएटी फिक्स नहीं है. 

    पुरानी पेंशन स्कीम में सर्विस के दौरान मौत होने पर फैमिली को पेंशन का पैसा दिया जाता है।

    राष्ट्रीय पेंशन स्कीम में भी सर्विस के दौरान मृत्यु होने पर परिवार को पैसा दिया जाता है. लेकिन योजना में जमा सारा पैसा सरकार जप्त कर लेती है. 

    पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट पर जीपीएफ के ब्याज पर किसी प्रकार का इनकम टैक्स नहीं लगता है जबकि नई पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट पर शेयर बाजार के आधार पर जो पैसा मिलता है उस पर टैक्स देना पड़ता है. 

    पुरानी पेंशन स्कीम में जनरल प्रोविडेंट फंड की सुविधा उपलब्ध है लेकिन राष्ट्रीय पेंशन स्कीम में जनरल प्रोविडेंट फंड का सुविधा उपलब्ध नहीं है. 

    निष्कर्ष 

    आज के इस लेख में हमने आपको बताया है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए बहुत ही बड़ी खुशी की खबर आई है. सरकार ने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को लागू कर दिया है।

    अब से सभी को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ मिलेगा। पुरानी पेंशन स्कीम में सैलरी में पेंशन के लिए कटौती नहीं की जाएगी।

    अब से सभी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद उनकी अंतिम सैलरी का 50 फ़ीसदी पेंशन के तौर पर मिलेगा। अब से कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद 2000000 रुपए की ग्रेजुएटी मिलेगी। 

    हम आशा करते हैं हमारा आज का लेख आप सभी को अच्छा लगा होगा। हमारे लेख को अंत तक धैर्य पूर्वक पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद !

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